Sri radhe rasik bihari lyrics
श्री राधे रसीक बिहारी, आरती करत तुम्हारी
काहे की थाल काहे की बाती
काहे की ज्योत जलाई,आरती करत तुम्हारी १
सोने की थाल कर्पूर की बाती
निर्मल ज्योत जलाई,आरती करत तुम्हारी २
मोर मुकुट की छटा देखकर
मोहे नर और नारी,आरती करत तुम्हारी ३
कमर में करधनीया सोहे पांव में पैजनिया सोहे
मुरली बजावत प्यारी ,आरती करत तुम्हारी ४
वृंदावन की कुंज गलियों में
नाचे राधा प्यारी ,आरती करत तुम्हारी ५
दीनन की सुध लेत दयानिधि
दीना निधि हितकारी ,आरती करत तुम्हारी ६
सूरदास भजो भगवाना
श्री हरि चरण बलिहारी ,आरती करत तुम्हारी ७
श्री राधेश्याम जी की आरती जो गावे
सुख संपत्ति सब पावे ,आरती करत तुम्हारी ८
तन मन धन सब हरि को अर्पण
हरि कहां है सब हरि को समर्पण
क्या लागे हरी मेरा ,आरती करत तुम्हारी ९
श्री राधे रसीक बिहारी, आरती करत तुम्हारी
श्री राधे रसीक बिहारी, आरती करत तुम्हारी
लेखक - आचार्य राहुल जी उपाध्याय
संपर्क सूत्र- +918707232607
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Jai jai
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